तेरी अधुरी ख्वाहिशों को कितना सजों रहा हूँ मैं
अब तो खुद लग रहा है कि खुद को खो रहा हूँ मैं
कौन जानता है
है दिल्लगी तुझसे
ये कौन जानता है
तु बेअसर मुझसे
ये कौन जानता है
है रहबरी तुझसे
ये कौन जानता है
तु बेखबर खुद से
ये कौन जानता है
है तिश्नगी तुझसे
ये कौन जानता है
तु रहगुज़र मुझसे
ये कौन जानता है
है दिल वाबस्ता तुझसे
ये कौन जानता है
तु रुठी है खुद से
ये कौन जानता है
अपने दिल को जिन्दा रख
अपने दिल को जिन्दा रखतुझ पर एक एहसान किया है मैंने ऐ जालिम
तुझे क्या पता यहाँ हर पल लोग खेलते हैं हमारी जज्बातों से😔
बहुत तकलीफ होती है
बहुत तकलीफ होती है जब भी तुझे मायुस देखता हूँ मैं वो अलग बात है की तुम खुद में मसरूफ़ रहती हो 😔
अश्क
अश्कों के इस समन्दर से
इक ऐसा जाम बना साकी
याद रहे यही लम्हा बस
जहन में और कुछ न रहे बाकी
खामोशी
बहुत कुछ कहना चाहती है मेरे लबों की खामोशी उससे
पर कमबख्त उसके हुश्न ने दिवाना बना रखा है
ख्वाब
मेरे ख्वाबो का नाजुक सा वो फुल हो तुम जिसे पाने की ख्वाहिश जमाने का हर भौरा रखता है!! @IRFAN
http://irfanlove12.blogspot.com/
The Journey Begins
Thanks for joining me!
Good company in a journey makes the way seem shorter. — Izaak Walton